New Thoughts And Poetry:- दोस्तों आज हम लेकर आए हैं “माँ” पर कविता। वैसे तो माँ की कोई व्याख्या नहीं की जा सकती है, लेकिन माँ का अपने बच्चो,Husband तथा परिवार के प्रति जो अटूट प्रेम होता है उसका कोई मोल नहीं होता “अनोमल” होता है!!
तेरी सूरत सबसे न्यारी
माँ
माँ शब्द से ही हदय को सुकून सा मिलता है,
मेरी पहली धड़कन और आखरी साँस है तुझसे,
ओ माँ,
आँख खुली तो पहला चेहरा दिखा मुझे,
वो तेरा ही था,
जब चलने की कोशिश करता और गिर जाता,
तब मुझे संभाला भी तूने ही था,
मेरी खुशियों के लिए अपनी झोली फैला दी,
मेरे सारे गमो को अपने पले में बांध लिया,
तू कितनी प्यारी है,
तेरी सूरत सबसे न्यारी है,
तेरे आगे तो जन्नत भी फीकी है,
तेरे कदमो में मै जीवन अपना सारा लुटा दूँ,
मैं कैसे बया कैसे करू, तू मेरे लिए कितनी जरूरी है!!
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साक्षात् ईश्वर का रूप है माँ
अगर जिंदगी अँधेरा है तो, तू मेरा उजाला है माँ,
तू मेरे लिए साक्षात् ईश्वर का रूप है माँ,
थोड़ा सा बीमार हो जाऊ तो,
घर को सर पर उठा लेती है माँ,
मैं खाना ना खाऊ तो खुद भी भूखी रह जाती है माँ,
मेरे लिए खुशियों की झोली फैलाती है माँ,
जब तक घर ना आउ, दरवाजे पर बैठी बैठी तू जागती है माँ,
मुझे नींद नहीं आने पर मेरे पास ही बैठी रहती है माँ,
रात से सुबह तक जागकर मेरा ख्याल रखती है माँ,
मेरी ज़िंदगी का उजाला, तू ही सवेरा है माँ,
यूँ कहूं तो मेरे लिए ईश्वर का रूप है तू माँ!!
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वो शब्दकोश है
मैं अगर शब्द हूँ, तो वो शब्दकोश है,
मैं आशा हूँ, तो वो इस आशा की उम्मीद है,
अंधरे में वो उजाला है,
निर्मल स्वर का वो भंडार है,
शब्द भी कम पड़ जाए, ऐसी परिभाषा है वो,
मेरे सर का ताज है वो,
मेरी खुशियों का राज है वो,
मेरे लिए तो लक्ष्मी भी वो ही है,
और सरस्वती का स्वरूप भी,
दिल से प्यारी सूरत से न्यारी,
खुशियां लुटाती माँ!!
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उम्मीद की रौशनी दिखाई है माँ ने
बड़े ही प्यार से पाला है माँ ने,
हर मुश्किल को मेरे सर से टाला है माँ ने,
बैठे थे सब पैसे की भूख में,
एक माँ ने ही दीपक जलाया है मेरे जीवन में,
ऊँगली पकड़कर चलना-फिरना सिखाया,
गिरकर उठने का हौसला दिलाया है माँ ने,
जब सब लगा हो गया खत्म,
तब प्रकाश करके उम्मीद की रौशनी दिखाई है माँ ने,
सूखे पतझड़ों को भी जीवन दान दिया है माँ ने,
शब्द भी कम पड़ जाए उसके आगे,
वो एक शब्द नहीं पूरी भाषा है,
यूँ कहूं वो पूरी परिभाषा है!!
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