सुदामा भी कृष्ण के द्वार आए
किस्मत वाले होते है जिनकी,
ज़िंदगी में एक सच्चा मित्र होता है,
जो हमे गम में भी हंसा दे,
हमारे दुःख को अपना दुःख समझे,
हमारी खुशियों को वो मनाये,
कभी रूठ जाऊ तो मुझे मनाये,
कभी वो रोए तो चुप मैं कराऊँ,
आखों में पानी मेरे हो,
और आसूं गिरे उसकी आंख से,
दिल मेरा रोये और,
दर्द उसके हो सीने में,
जो ज़िंदगी भर साथ निभाए,
कभी ना अपना हाथ छुडाये,
ऐसा खूबसूरत रिश्ता बनाये,
जिसे पाने सुदामा भी कृष्ण के द्वार आए!!
तू इकलौती संतान है
दोस्ती की क्या मिसाल दूँ,
तू तो मेरी जान है,
मिले थे तब थे अनजान,
आज बन गए एक-दूसरे की हम है जान,
ना खून का रिश्ता, ना इसमें कोई फरेब है,
तू मिला ज़िंदगी जीने का नया नजारा दिख गया,
क्या कहूं तेरे लिए ऐ मेरे दोस्त,
मेरी हर मुश्किल को तूने अपने सर लिया है,
हँसते हँसते तूने सब मेरे लिए सहा है,
क्यों ना मैं तुझे अपनी जान कहूं,
जब अपने भी छोड़ गए थे मुझे,
उस वक्त भी तूने मुझे संभाला है,
ज़िंदगी जीने का नया तरीका,
तुझमे ही तो पाया है,
दोस्ती की क्या मिसाल दूँ,
तू तो मेरी जान है
मेरे दिल की धड़कती धड़कन की,
तू इकलौती संतान है!!
तेरा-मेरा साथ बना रहे
ऐ सुन मेरे दोस्त,
चल फिर से वही चलते है,
उस जगह का उस वक्त का,
शुक्रिया अदा करते है,
जिसने हमे मिलाया है,
उस दिन को हम बड़े प्यार से मनाते है,
चल न फिर से वही चलते है,
हाथों में चाय के दो कुल्हड़,
और मौसम का मजा लेते है,
फिर से बीते लम्हों को,
नए रंग से संजोते है,
कभी न टूट ये बंधन तेरा-मेरा,
उसकी कसमें खाते है,
तू मेरी कसम खाना,
मैं तेरी कसम खाऊंगा,
टूटी कभी जो ये डोर,
दिल के हो जायेगे टुकड़े करोड़,
तेरा-मेरा साथ बना रहे,
जब तक ज़िंदा ये तेरा दोस्त रहे!!
तू मेरी धड़कन, तू ही मेरी जान है
तू मेरी धड़कन, तू ही मेरी जान है,
ऐ सुन मेरे दोस्त,
इस दिल का इकलौता तू मेहमान है,
तू ही धुप है, तू ही छावं है,
बिछड़ के मैं तुझसे ना जी पाउँगा,
तेरे बिना मेरी ज़िंदगी वीरान है,
तूने मुझे दोस्ती का मतलब सिखाया,
यूँ कहूं तो ये बेमतलब है,
ना इसमें कोई पाप है,
ना इसमें कोई पराया,
तू खून का ने होकर भी,
खून से बढ़कर है,
मेरे लिए तू दोस्त बाद में,
भाई पहले है!!
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