देश में किसान से ज्यादा महत्वपूर्ण व्यक्ति शायद ही कोई हो। God Made A Farmer Poem, क्योंकि किसान वह इंसान है जिसकी आबादी इस देश में सबसे ज्यादा है। और क्यों ना हो आखिरकार भारत एक कृषिप्रधान देश है। और सम्पूर्ण भारत वर्ष में किसान पाए जाते हैं। अतः किसान की खुशहाली का मतलब देश की खुशहाली कहना स्वाभाविक है।
किसान देश की रीढ़ की हड्डी होता है। उसकी खुशहाली से ही देश की खुशहाली होती है।
मानसून के हालत देश में यह हैं कि हर साल किसी ना किसी प्रकार के किसानों को नुक्सान होता है। चाहे वह गन्ना किसान हो, चाहे धान के किसान हो। मानसून की थोड़ी से गड़बड़ी उनकी आर्थिक सेहत बिगाड़ देती है।
किसान लोगों के लिए अन्न उगाता है। और उस अन्न के लिए वह कठोर मेहनत करता है। मेहनत ऐसी जो धरती का सीना चीर दे और सच में किसान धरती का सीना चीरकर ही आप लोगों के लिए अन्न उगाता है।
God Made A Farmer Poem
“लिखता मैं किसान के लिएमैं लिखता इंसान के लिए,
नहीं लिखता धनवान के लिएनहीं लिखता,
मैं भगवान के लिएलिखता खेत खलियान के लिए,
लिखता मैं किसान के लिए नहीं लिखता उद्योगों के लिए,
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए,
लिखता हूँ सड़कों के लिए, लिखता मैं इंसान के लिए,
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई नहीं उम्मीद इसकी मुझे,
खेत खलियान में बीज ये बो दे”
“सड़क का एक गढ्ढा भर देती,
ये काफ़ी इंसान के लिए, लिखता हूँ किसान के लिए,
लिखता मैं इंसान के लिए आशा नहीं मुझे जगत पढ़े,
पर जगत का एक पथिक पढ़े, फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए,
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए,
पिछड़े भारत से ज़्यादा भूखे भारत से डरता हूँ,
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ, फिर किसान पर लिखता हूँ,
क्योंकि लिखता मैं किसान के लिए लिखता मै इंसान के लिए”
“माना की मै एक चर्चित इंसान हू,
एक जागता हुआ किसान हू,
रात को जागना तो मेरी आदत है,
किसान फसलो की करता हिफाजत है,
किसान वो क्या जो सो जाए, अपनी ही पीड़ा में खो जाए,
उसपर लाख बच्चो का भार है, चलता उससे बाजार है,
किसान न जगे तो कौन जाग पायेगा,
उसकी मेहनत कौन आक पायेगा”
God Made A Farmer Poem Framed
“ये एक इसान ही है,
जो मेहनत का धनवान है, इसकी कुंडली में मौसम बलवान है,
ये इंसान नही “भगवान् ” है जो पालता पेट है लाखो का,
आज वो कितना परेशान है,
इसकी आह सुनता सिर्फ भगवान् है,
लूट रहा इसको शैतान है , दिल से निकली आह जिसके,
समझो वो “कृष्णा ” भी आज उदास है,
माना की मै एक चर्चित इंसान हू,
एक जागता हुआ किसान हू”
“जागो रे मज़दूर किसानरात गई अब हुआ विहानरात गई रे साथी,
किरनों की आहट पाकर कलियों ने आँखें खोलीं,
ताक़त नई हवा से पाकर गूंगी लहरें बोलीं,
गुन-गुन-गुन सब ओर गूँजता परिवर्तन का गान,
रात गई रे साथी,
चलो साथियों चलो कि अपनी मंज़िल बहुत कड़ी है उधर,
विजय ताज़ा फूलों की माला लिए खड़ी है,
चलो साथियो तुम्हें जगाना पूरा हिन्दुस्तान,
रात गई रे साथी, खोने को हथकड़ियाँ पाने को है दुनिया सारी,
चलो साथियो बढ़ो कि होगी अन्तिम विजय,
हमारीसर पर कफ़न हथेली पर रख लें,
अब अपनी जानरात गई रे साथी”
“बूँद बूँद को तरसे जीवन,
बूँद से तड़पा हर किसानबूँद नही हैं कही,
यहाँ परगद्दी चढ़े बैठे हैवान.बूँद मिली तो हो,
वरदान बूँद से तरसा हैं किसानबूँद नही तो,
इस बादल मेंदेश का डूबा है अभिमान बूँद से प्यासा,
हर किसान बूँद सरकारों का फरमान बूँद की,
राजनीति पर देखों डूब रहा है हर इंसान”
Emotional Thoughts In Simple Words For Farmer
“हो विष्णु तुम धरा के,
हल सुदर्शन तुम्हारा,
बिना शेष-शैया के ही,
होता दर्शन तुम्हारा,
पत्थर को पूजने वाले,
क्या समझेंगे मोल तेरा,
माँ भारती के ज्येष्ठ सुत,
तुमको नमन हमारा”
“भारतीय किसान एक मेहनती आदमी है,
वह सुबह से शाम तक चिलचिलाती गर्मी और ठंड में काटता है,
सुबह-सुबह वह अपने बैलों को खेतों में ले जाता है,
वह खेतों की जुताई करता है, बीज बोता है,
और पौधों को पानी देता है, फसलों की देखभाल करता है,
और उन्हें आवारा पशुओं या जंगली जानवरों द्वारा खराब होने से बचाता है,
उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती,
दोपहर में वह एक छायादार पेड़ के नीचे अपना भोजन करता है,
और थोड़ा आराम करता है, शाम को वह घर लौटता है”
I Was Born To Be A Farmer Poem
“देखता हूं नित दिन मैं एक इंसान को,
धूप में जलता हुआ शिशिर में पिसता हुआ,
वस्त्र है फटे हुए पांव हैं जले हुए,
पेट-पीठ एक है बिना हेल्थ जोन गए हुए,
किसान पर कविता हिंदी मैं,
खड़ी फसल जल रहीसूद-ब्याज बढ़ रही,
पुत्र प्यासा रो रहा दूध के इंतजार में,
फटी बिवाई कह रही,
दीनता की कहानी,
शब्दों के अभाव में, जो रह गई बेजुबानी”‘
“माना गरीब हूं मैं बेटा किसान का,
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का,
मेरे घर नहीं तिजोरी कपड़े हैं एक जोड़ी,
लेने को पेन-कॉपी नहीं है फूटी-कौड़ी,
मैं कमजोर बना घर है टूटा हुआ छप्पर है,
मजबूत चौखट प्रेम की पर लगी मेरे दर है,
खजाना भरा है, विचारों की शान का,
मैं ही बनूंगा गौरवभारत महान का,
अभावों में मैं पला हूं भूख से भी मैं जला हूं,
लेकिन ये पाई प्रेरणा सत्यपथ से न टला हूं,
न अंग्रेजी सीख पायान जीन्स-ट्राऊजर में मचलना,
सीखा है मगर मैंने सिद्धांतों पर चलना,
बनूंगा मैं हिन्द का रखवाला आन का,
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का”
Strange Research Free Poem About Farmer