Poem on Big Bird:- पक्षी प्रकृति का एक हिस्सा है यह रंग – बिरंग एवं अन्य प्रकार के पाए जाते है आपने इन्हे पेड़ों के ऊपर अवस्य देखा होगा इनके आवाज़े सुनकर हम मोहित हो जाते है एवं यह प्रकृति की खूबसूरती बताते है। पक्षियों की एक अलग ही दुनिया होती है जिसमे वो आनंद से रहते है और खुले आकाश में उड़ते है ये सभी प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है प्रकृति ने इन्हे सुन्दर एवं रंग बिरंग का बनाया है हमे इनसे सीख लेनी चाहिए कि
अपने जीवन में हौसला कभी कम न होने दे पक्षियों के तरह हमेशा बुलंद रखे, अच्छे goal बनाये एवं उसे छोटे छोटे तिनको से पूरा करे जैसे पक्षी घोसला बनाती है और अगर कोई चीज़ काम नहीं करती है तो निराश न होते बल्कि और अच्छे से उसपर काम करे जैसे पंक्षियों का घोसला हवा से उजर जाता है लेकिन फिर भी हो मेहनत करके उसे फिर से बनाते है।
Birds Are Mammals Poem
“संध्या की उदास बेला, सूखे तरुपर पंछी बोला,
आँखें खोलीं आज प्रथम, जग का वैभव लख भूला मन,
सोचा उसने-”भर दूँ अपने मादक स्वर से निखिल गगन,
दिन भर भटक-भटक कर नभ में मिली उसे जब शान्ति नहीं,
बैठ गया तरु पर सुस्ताने, बैठ गया होकर उन्मन,
देखा अपनी ही ज्वाला में,
झुलस गई तरु की काया,
मिला न उसे स्नेह जीवन में,
मिली न कहीं तनिक छाया,
सोच रहा-”सुख जब न विश्व में, व्यर्थ मिला ऐसा चोला,
संध्या की उदास बेला, सूखे तरु पर पंछी बोला,
जब-जब मुझे लगता है,
कि घट रही है आकाश की ऊँचाई,
और अब कुछ ही पलों में मुझे पीसते हुए,
चक्की के दो पाटों में तबदील हो जाएंगे धरती-आसमान,
तब-तब बेहद सुकून देते हैं पंछी,
आकाश में दूर-दूर तक उड़ते ढेर सारे पंछी,
बादलों को चोंच मारते,
अपनी कोमल लेकिन धारदार पाँखों से,
हवा में दरारें पैदा करते ढेर सारे पंछी,
ढेर सारे पंछी”
“धरती और आकाश के बीच,
चक्कर मारते हुए,
हमें एहसास दिला जाते हैं,
आसमान के अनंत विस्तार,
और अकूत ऊँचाई का,
पंछी का यही आस विश्वास, पंख पसारे उड़ता जाये,
निर्मल नीरव आकाश, पंछी का यही आस विश्वास,
पिंजड़े की कारा की काया में, उजियारी अँधियारी छाया में,
चंदा के दर्पण की माया में अजगर काल का उगल रहा है,
कालकूट उच्छवास पंछी का यही आस विश्वास”
“भंवराती नदियाँ गहरी बहता निर्मल पानी,
घाट बदलते हैं लेकिन तट पूलों की मनमानी,
टूट रहा तन, भीग रहा क्षण, मन करता नादानी,
निदियारी आँखों में होता, चिर विराम का आभास,
पंछी का यही आस विश्वास,
किया नीड़ निर्माण, हुआ उसका फिर अवसान,
काली रात डोंगर की बैरी, बीत गया दिनमान,
डाल पात पर व्यर्थ की भटकन, न हुई निज से पहचान,
सूखे पत्ते झर-झर पड़ते, करते फागुन का उपहास,
पंछी का यही आस विश्वास,
पंख पसारे उड़ता जाये,
निर्मल नीरव आकाश”
Postmen All Birds On Poem
“ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं,
हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लायी चिठि्ठयाँ,
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं,
हम तो केवल यह आँकते हैं,
कि एक देश की धरती,
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है,
और वह सौरभ हवा में तैरती हुए,
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है,
और एक देश का भाप दूसरे देश का पानी,
बनकर गिरता है”
“मैं पंछी आज़ाद मेरा कहीं दूर ठिकाना रे,
इस दुनिया के बाग़ में मेरा आना-जाना रे,
जीवन के प्रभात में आऊँ, साँझ भये तो मैं उड़ जाऊँ,
बंधन में जो मुझ को बांधे, वो दीवाना रे।। मैं पंछी…
दिल में किसी की याद जब आए, आँखों में मस्ती लहराए,
जनम-जनम का मेरा किसी से प्यार पुराना रे।। मैं पंछी…”
“प्यार पंछी सोच पिंजरा दोनों अपने साथ हैं,
एक सच्चा, एक झूठा, दोनों अपने साथ हैं,
आसमाँ के साथ हमको ये जमीं भी चाहिए,
भोर बिटिया, साँझ माता दोनों अपने साथ हैं,
आग की दस्तार बाँधी, फूल की बारिश हुई,
धूप पर्वत, शाम झरना, दोनों अपने साथ हैं,
ये बदन की दुनियादारी और मेरा दरवेश दिल,
झूठ माटी, साँच सोना, दोनों अपने साथ हैं,
वो जवानी चार दिन की चाँदनी थी अब कहाँ,
आज बचपन और बुढ़ापा दोनों अपने साथ हैं,
मेरा और सूरज का रिश्ता बाप बेटे का सफ़र,
चंदा मामा, गंगा मैया, दोनों अपने साथ हैं”
Birds For Prey Poem
“जो मिला वो खो गया, जो खो गया वो मिल गया,
आने वाला, जाने वाला, दोनों अपने साथ हैं,
कौन देस से आए ये पंछी,
कौन देस को जाएंगे,
क्या-क्या सुख लाए ये पंछी,
क्या-क्या दुख दे जाएंगे,
पंछी की उड़ान औ’ पानी,
की धारा को कोई सहज समझ नहीं पाता,
पंछी कैसे आते हैं,
पानी कैसे बहता है,
अगर कोई समझता है भी,
मुझको नहीं बतलाता है”
“कलरव करती सारी चिड़िया,
लगती कितनी प्यारी चिड़िया,
दाना चुगती, नीड बनाती,
श्रम से कभी न हारी चिड़िया,
भूरी, लाल, हरी, मटमैली,
श्रंग-रंग की न्यारी चिड़िया,
छोटे-छोटे पर है लेकिन,
मीलो उड़े हमारी चिड़िया,
कौन सिखाता है चिड़ियों को,
ची ची ची ची करना,
कौन सिखाता फुदक फुदक कर,-
उनको चलना फिरना,
कौन सिखाता फुर्र से उड़ना,
दाने चुग-चुग खाना,
कौन सिखाता तिनके ला ला,
कर घोंसले बनाना,
कुदरत का यह खेल वही,
हम सबको, सब कुछ देती”
Good Morning Love Birds Poem
“अपने पंख भोर हुई पहुँची अपने ठिकाने को
“बच्चे देख रहे थे राह उसकी आने को,
माँ को देख बच्चे छुपा ना पाए अपने मुस्कुराने को,
माँ ने दिया दाना सबको खाने को,
दिन भर की मेहनत आग लगा देती है,
पर बच्चो की मुस्कान सब भुला देती है,
वो नन्ही सी जान उसे जीने की वजह देती है,
बच्चो के लिए माँ अपना सब कुछ लगा देती है,
फिर होता है रात का आना सब सोते है,
खाकर खाना चिड़िया सोचती है,
क्या कल आसान होगा पाना दाना,
पर अपने बच्चो के लिए उसे कर है दिखाना,
अगली सुबह चिड़िया फिर उड़ती है लेने को दाना,
गाते हुए एक विस्वास भरा गाना”
“प्रात: होते ही चिड़िया रानी, बगिया में आ जाती,
चूं चूं करके शोर मचाकर बिस्तर में मुझे जगाती,
तिलगोजे जैसी चोंच है उसकी,
मोती जैसी आंखें,
छोटे छोटे पंजे उसके,
रेशम जैसी आंखें,
मीठे मीठे गीत सुनाकर,
तू सबका मन बहलाती,
छोटे छोटे दाने चुग कर,
बड़े चाव से खाती”
Easy Rich Thought On Improved People