पशु पक्षी हमारी प्रकृति की सुंदरता और संतुलन के लिए इनका होना जरूरी हैं. 💞💞आज के आर्टिकल में Birds And Freedom, हम जानवरों अर्थात एनिमल्स पर सरल भाषा में छोटी छोटी और सुंदर कविताएँ बच्चों के लिए यहाँ दे रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं यह कविता संग्रह आपको पसंद आएगा.
सच्चे अर्थों में जानवर ही इंसान के सच्चे दोस्त होते है खासकर पालतू पशु अपने स्वामी के प्रति बेहद वफादार होते हैं. एक मनुष्य होने के नाते हमें पक्षियों और जानवरों के प्रति दया, करुणा के भाव रखने चाहिए. ये कविताएँ भी कुछ ऐसा ही हमें संदेश देती हैं।💞💞
Caged Birds Poem
“अगर कहीं खो जाती मैं जंगल मेंडरावनी आवाज संग होता,
मेरा बसेरा रात में घने अन्धकार मेंतो मैं डर जाती,
फिर आते हाथी दादासंग लाते भालू और बंदर मामा,
पहले मैं थोड़ा घबराती फिर उनको पास बुलाती,
हो जाती मेरी उनसे यारी फिर आती,
जो वनराज की बारी, करवाते वो भी जंगल की सवारी,💞💞
जो समझती मैं उनकी बोली और वह समझ जाते मेरी भाषा,
फिर होती हम सब की एक परिभाषा,
प्यार से होती हम सब की मस्ती,
कभी बना लेती मैं घड़ियाल की भी कश्ती,
गजराज घुमाते झरने पर,
और चीते संग मैं रेस लगाती,
तरह तरह की मैं आवाजें निकालती,
अगर मैं जंगल में खो जाती”💞💞
“जानवर हूँ,इंसान ना समझ,विश्वास कर,
तेरे घर की,रखवाली करूंगा,आखिरी तक,
घर की,सुरक्षित रखूंगा,बहू – बेटियाँ,
तेरे घर का,मान नहीं टूटेगा,मेरे रहते,
विश्वास कर,जानवर ही हूँ मैं,इंसान नहीं”💞💞
“यूँ तो बड़ा दुलार था उसका,
जब तक कि काम था उसका,
अंत में मगर क्या पाया था उसने,
सोचता हूँ अब जानवर वो था या मैं,
एक आवाज पर झट आ जाना,
बिन शिकायत जो मिले खा जाना,💞💞
मतलब प्यार का समझाया उसने,
सोचता हूँ अब जानवर वो था या मैं,
दर्द से बेजार फिरता रहा इधर से उधर,
कई बार आया था इस तरफ भी ,
नजर बड़ी उम्मीद से मुझे बुलाया था उसने,
सोचता हूँ अब, जानवर वो था या मैं,
दूर झाड़ियों में आखिरी साँसे लेता,
बेबसी से अपने घावों को देखता,
बड़ी मायूसी से दम तोड़ पाया था उसने,
सोचता हूँ जानवर वो था या मैं”💞💞
Love Singing Birds Poem
“शोर मचा अलब़ेला है,जानवरो क़ा मेला है,
वन क़ा ब़ाघ दहाड़ता,हाथी ख़ड़ा चिघाड़ता,
ग़धा जोर से रेक़ता,कूक़ूर ‘भो-भो’ भौक़ता,
ब़ड़े मज़े की ब़ेला है,जानवरो क़ा मेला है,
गॉ ब़धी रँभाती है,बक़री तो मिमियाती है,
घोड़ा हिऩहिनाए क़ैसा,डोय-डोय डुडके भैसा,
ब़ढ़िया रेलम-रेला है,जानवरो क़ा मेला है”💞💞
“जिन्दगी ज़ानवर की ब़दहाल है,
पूछ़ता ख़ुद-ब़-खुद मे सवाल है,
आदमी क्यू ब़दल रहा चाल-ढ़ाल है,
ज़गह जानवर की लेने क़ो तैयार है,
पहले तो मिल ज़ाती थी जूठ़न या रोटी दो,
अब़ आदमी चाहता है ब़स इऩकी बोटी़ हो,
फ़िरते है ये आवारा कुत्ते बिल्लियॉ,
विभिन्न ज़ाति क़े ये मवेशियॉ,💞💞
भूख़ इनकी भी होती है ती़व्र,
पर समझता ऩही इन्हे क़ोई जीव,
अब़ तो जूठ़न भी भाग़ मे न आये,
भले अन्न निर्जीव डिब्बो मे दाल़ दिए जाए,
मासूम़ ये भी है क़ौन ये समझाए,
आदमी हो आमदऩी, सब़से वफादारी निभाय़े,
चितित है अब़ पशु समाज़ क़ैसे ये ब़ताये,
आदमी क़ो आखिर क़ैसे दे राय़,
मुश्कि़ल है मलाल है,
ऩ ब़ोलने से हलाल है,
ब़स निक़ले दम रोज़ और बिख़रे खाल है”💞💞
“मेरे अन्द़र एक़ ज़ानवर है,
ज़ो मेरे अन्द़र के आद़मी क़ो सत़ाता है,
धमक़ाता है और ड़राए रख़ता है,
फिर भी क़ई ब़ार,
मेरे अन्द़र का आदमी,
उस दरिदे क़ी जरूरत महसूस क़रता है,
ज़गल मे रहना मुश्कि़ल है शायद ज़ानवर हुए ब़िना”💞💞
“आगे-आगे चूहा दौड़ा,
पीछे-पीछे बिल्ली,
भागे भागे,जा पहुँचे वो दिल्ली,
लाल किले पर पहुँच चूहे ने,शोर मचाया,
झटपट पुलिस देखकर डर गई बिल्ली,
वापस भागी सरपट”💞💞
Funny Poem On Cat
“पंपापुर में रहती थी जी,
एक बिल्ली सैलानी,
सुंदर-सुंदर, गोल-मुटल्ली,
लेकिन थी वह कानी,
बड़े सवेरे घर से निकली,
एक दिन बिल्ली कानी,
याद उसे थे किस्से प्यारे,
जो कहती थी नानी,
याद उसे थीं देश-देश की रंग-रंगीली बातें,
दिल्ली के दिन प्यारे-प्यारे, या मुंबई की रातें,
मैं भी चलकर दुनिया घूमूँ,
उसने मन में ठानी,
बड़े सवेरे घर से निकली, वह बिल्ली सैलानी,💞💞
गई आगरा दौड़-भागकर,
देखा सुंदर ताज,देख ताज को हुआ,
देश पर बिल्ली को भी नाज।
फिर आई मथुरा में,
खाए ताजा-ताजा पेड़े,
आगे चल दी, लेकिन रस्ते थे कुछ टेढ़े-मेढ़े,
लाल किला देखा दिल्ली का,
लाल किले के अंदर, घूर रहा था बुर्जी ऊपर,
मोटा सा एक बंदर,
भागी-भागी पहुँच गई वह,
तब सीधे कलकत्ते,
ईडन गार्डन में देखे फिरतें दुलकर के छक्के,
बैठी वहाँ, याद तब आई नानी,
न्यारी नानी,नानी जो कहती थी किस्सेसुंदर और लासानी,
घर अपना है कितना अच्छा-घर की याद सुहानी,
कहती-झटपट घर को चल दी,
वह बिल्ली सैलानी”
“साँझ ढलने और इतना अन्धेरा घिरने पर भी,
घर नहीं लौटी गाय,
बरसा में भीगती मक्का में हो,
गीया किसी बबूल के नीचे,
पानी के टपके झेलती,
पाँवों के आसपास,
Inspiration Poem On Cow Hindi
सरसराते होंगे साँप-गोहरे,
कैसा अधीर बना रही होगी उसे,
वन में कड़कती बिजली रो तो नहीं रही होगी,
दूध थामे हुए थनों में,
कैसा भयावह है अकेले पड़ जाना,
वर्षा-वनों में जीवन में जब दुखों की वर्षा आती है,
इतने ही भयावह ढंग से अकेला करते हुए,
घेरती है जीवनदायी घटाएँ”
“अगर कहीं मैं घोड़ा होता,
वह भी लंबा-चौड़ा होता,
तुम्हें पीठ पर बैठा करके, बहुत तेज मैं दोड़ा होता,
पलक झपकते ही ले जाता, दूर पहाड़ों की वादी में,
बातें करता हुआ हवा से, बियाबान में, आबादी में,
किसी झोंपड़े के आगे रुक, तुम्हें छाछ औ’ दूध पिलाता,
तरह-तरह के भोले-भाले इनसानों से तुम्हें मिलाता,
उनके संग जंगलों में जाकर मीठे-मीठे फल खाते”
“रंग-बिरंगी चिड़ियों से अपनी अच्छी पहचान बनाते,
झाड़ी में दुबके तुमको प्यारे-प्यारे खरगोश दिखाता,
और उछलते हुए मेमनों के संग तुमको खेल खिलाता,
रात ढमाढम ढोल, झमाझम झाँझ, नाच-गाने में कटती,
हरे-भरे जंगल में तुम्हें दिखाता, कैसे मस्ती बँटती,
सुबह नदी में नहा, दिखाता तुमको कैसे सूरज उगता,
कैसे तीतर दौड़ लगाता, कैसे पिंडुक दाना चुगता,
बगुले कैसे ध्यान लगाते, मछली शांत डोलती कैसे,
और टिटहरी आसमान में, चक्कर काट बोलती कैसे”
Amazing! Best! Poem On Birds In Hindi