यह सभी देशभक्ति कविता हमारे अन्दर देशप्रेम की भावना को जागृत करती हैं. और इस तरह की कविताएँ तमाम स्वतंत्रता सेनानियों और वीर सपूतों की याद दिलाती हैं।दोस्तों आज इस पोस्ट में देशभक्ति कविता का कुछ संग्रह दिया गया हैं. इनको आप 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस के दिन इस्तेमाल कर सकते सकते हैं। या किसी समारोह आयोजन में भी सुना सकते है। Poem For Children
अपने देश से प्रेम करना और सदा उसका कल्याण सोचना देश भक्ति (Patriotism) कहलाता है, राष्ट्रभक्त होने का मतलब हमेशा राष्ट्र नीति का हित करना है,जो कई प्रकार से किया जा सकता है चाहे कारगिल में युद्ध करके, राष्ट्र में शिक्षा प्रदान करके, देशवासियों को देश के प्रति प्रेरणा देकर आदि सभी राष्ट्र भक्ति ही हैं।
हमारे प्रसिद्ध कवियों ने देश पर अनमोल कविता लिखकर देशवासियों को जागृत करने का एक माध्यम तैयार किया था जिससे एकेडमिक स्कूल से ही बच्चों को राष्ट्र पर मर मिटने वाले धरती मां के वीर सपूतों की अद्भुत शौर्य और पराक्रम का बखान और देश हित में जानकारी प्रदान कराया जा सके।
Patriotic Poem On Child
“आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झाँकी,
हिंदुस्तान की इस मिट्टी से तिलक करो,
ये धरती है बलिदान की,
वंदे मातरम …”
“उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है,
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है,
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है,
बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है,
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,
आज़ादी के नारों पेकूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्मिनियाँ,
अंगारों पे बोल रही है कण कण से कुरबानी,
राजस्थान की इस मिट्टी से …,
देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था,
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था,
हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था,
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था,
यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की”
“जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ,
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ,
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ,
मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ,
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की,
इस मिट्टी से …ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है,
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है,
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है,
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है,
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान”
Best Patriotic Poem For Children
“सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी”
“चमक उठी सन सत्तावन में,
वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी”
“कानपूर के नाना की,
मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह,
नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी”
“वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी”
“लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़”
“हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी थी झांसी “
Jhansi Ki Rani Patriotic Poem Hindi
“उदित हुआ सौभाग्य,
मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई”
“बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया”
“अनुनय विनय नहीं सुनती है,
विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था,
जब यह भारत आया,डलहौज़ी ने पैर पसारे,
अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया”
“रानी दासी बनी,
बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी”
“छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा,कर्नाटक की कौन बिसात,
जब कि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात”
“रानी रोयीं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
नागपुर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार”
Kids Patriotic Poem
“कुटियों में भी विषम वेदना,
महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान”
“अपना कुछ ग़म नहीं लेकिन ये ख़याल आता है,
मादरे हिंद पे कब से ये ज़वाल आता है,
देशी आज़ादी का कब हिंद में साल आता है,
क़ौम अपनी पे तो रह-रह के मलाल आता है,
मुंतज़िर रहते हैं हम ख़ाक में मिल जाने को”
“दर्दमंदों से मुसीबत की हलावत पूछो,
मरने वालों से ज़रा लुत्फ़े-शहादत पूछो,
चश्मे-मुश्ताक़ से कुछ दीद की हसरत पूछो,
जां निसारों से ज़रा उनकी हक़ीक़त पूछो,
सोज़ कहते हैं किसे, पूछो तो परवाने को”
“बात सच है कि इस बात की पीछे ठानें,
देश के वास्ते कुरबान करें सब जानें,
लाख समझाए कोई,
एक न उसकी मानें,कहते हैं,
ख़ून से मत अपना गिरेबां सानें,
नासेह, आग लगे तेरे इस समझाने को”
“अब तो हम डाल चुके अपने गले में झोली,
एक होती है फ़कीरों की हमेशा बोली,
ख़ून से फाग रचाएगी हमारी टोली,
जब से बंगाल में खेले हैं कन्हैया होली,
कोई उस दिन से नहीं पूछता बरसाने को”
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