तब भी यह पड़ोसन से कहती है कि वही ठंडी रोटी खा कर आई हूं, तब उसके माता बोली , बेटे मैं तो चारों थालिया बराबर गरमा गरम खाने की परोसती हूं यदि तुझे मुझ पर विश्वास नहीं हो तो अपनी आंखों से देख लेना।
तब दूसरे दिन बैठे ने तबीयत खराब करने का बहाना बनाया और चादर ओढ़ कर लेट गया और बहू ने पड़ोसन से वही बात दोहराई ।तब उसके पति उठा और उसने कहने लगा कि अभी अभी तो तु गरमा गरम खाना खाकर गई है और तूने झूठ क्यों कहा पड़ोसन से की ठंडी बासी रोटी ही खाकर आई हूं।
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उसकी विद्वान पत्नी ने कहा आपके कियह न तो यह आपकी कमाई हुई रोटी है न आपके पिताजी की । यदि ऐसे बैठे-बैठे धन को खर्च किया जाएगा तो 1 दिन पूरा समाप्त हो जाएगा। जैसे कुएं के पानी की तरह एक दिन समाप्त हो जायेगा।
फिर उसका पति विदेश कमाने के लिए चला गया। पीछे से उसकी पत्नी चौथ माता का व्रत किया करती थी। उसके पति को परदेश में रहते हुए बाहरे साल बीत गए।
एक दिन उसकी सास ने अपने बेटे को घर बुला ने की सोची तब उसकी पत्नी ने माताजी से प्राथना की। फिर चौथ माता उसके पति के सपने में जाकर बोली कि अब तू घर चला जा। तेरी मां और तेरी पत्नी तुझे बहुत याद करते हैं।
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तब वह बोला कि मैं कैसे गांव चला जाऊ मेरे यहां बहुत बड़ा कारोबार फैला हुआ है। तब चौथ माता बोले की सुबह एक दीपक जलाकर मेरा नाम लेकर बैठ जाना। देने वाले रुपए दे जायेगे लेने वाले रुपए ले जायेंगे।
उसने सुबह उठकर वैसा ही किया और उसका कारोबार एक दिन में ही सिमट गया। जब वह घर जाने के लिए रवाना हुआ तो रास्ते में उसे एक सांप आग के पास जाता हुआ मिला। लड़के ने सोचा सांप ऐसे तो सांप जल जायेगा इसलिए उसने सांप को भगाने के लिए सिसकारी भरी,
लेकिन तभी नागराज बोले कि, हे! पापी मेरे तो बारह साल की तपस्या पूरी हो रही थी, मैं तो सांप योनी से मुक्त हो रहा था, लेकिन तूने मुझे जलने नही दिया।
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इसलिए अब मै तूझे डसूंगा। तब वह लड़का हे! नागराज आप मुझे अवस्य खा लेना मैं आपको वचन देता हूं मै बारह साल बाद अपने घर मिलने जा रहा हूं। इसलिए कल रात आप अवस्य आ जाना।
जब मां बाप का दुलारा बेटा, पत्नी का प्यारा पति घर आया तो वह बहुत उदास था। कारण पुछने पर भी नहीं बताया ओर एक सीढ़ी पर दूध का कटोरा रख दिया, दूसरी पर बालू मिट्टी बिछा दी, तीसरी पर फूल माला बिछा दिए। चौथी पर इत्र छिड़क दिया , पांचवे पर मिठाई रख दी।
इस तरह सातों सीढ़ियों पर कुछ ना कुछ रख दिया और दरवाजा खुला छोड़ दिया। सांप आया सबसे पहले उसने दूध पिया तो बोला, साहूकार के बेटे तूने सुख तो बहुत दिए हैं, पर वचन का बंधा हूं इसलिए तुझे डसूंगा अवस्य।
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सातों पीढ़ियों पर उसने ऐसा ही कहा जैसे ही वो उसे डसने लगा चौथ माता और विनायक जी ढाल और तलवार बनकर उस सांप के टुकड़े टुकड़े कर दिए। जैसे ही सुबह हुई वहां खून ही खून हो रहा था।
मां ने सोचा मेरे बेटे बहु को किसी ने मार डाला है, इसलिए वह चिलाने लगी। तभी बेटा बोला कि मां खुशियां मनाओ आज तो हमारा बैरी दुश्मन मर गया है और पूछने लगा कि मेरे पीछे से मेरी लंबी उम्र के लिए कोई उपाय किया था क्या?
तब मां बोली मैने तो नहीं किया पत्नी से पूछने पर उसने कहा मैं चौथ माता का व्रत करती थी। आज चौथ माता और विनायक जी ने ही हमारी सहायता की हैं। तब सास बोली यह जूठ बोलती हैं मै रोज इसे चार रोटी देती थी तो फिर इसने चौथ माता का व्रत कैसे किया?
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तब वह बोली एक रोटी गाय को खिलाती, एक रोती गरीब को देती एक जमीन में गाड़ देती ओर एक रोटी रात को चांद देखकर मैं खा लेती।
यदि विश्वास नहीं तो पूछ लो। तब गाय माता से पूछा तो वह हंसने लगी और पलाश के फूल उसके मुंह से गिरने लगे। जमीन को खोदकर देखा तो रोटियों की जगह सोने के चक्कर थे गरीब से पूछा तो उसने भी हा भर दी। सभी सुहागिनों को चौथ माता का व्रत करना चाहिए।।।।
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