Princess And Peacock Love:- बहुत समय पहले की बात है। एक बार एक राजा था जिसके सात राजकुमारियां थी। उनमें से सबसे छोटी वाली राजकुमारी का नाम पदमा था। फिर एक दिन राजा ने अपनी सातों राजकुमारियों को बुलाया और पुछने लगा कि तुम सब किसके भाग्य का लिखा हुआ खाती हो? तब उन सातों राजकुमारियों में से छः ने तो कहा पिताजी हम तो अपके भाग्य का लिखा हुआ खाती है। उनमें से सबसे छोटी वाली राजकुमारी ने कहा पिताजी मै तो अपने भाग्य का लिखा हुआ खाती हूं।
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यह सुनकर राजा को गुस्सा आ गया। फिर उसने कहा इन छः राजकुमारियों ने मेरे भाग्य का बोला तो फिर तुमने ऐसा क्यों कहा की अपने भाग्य का लिखा हुआ खाती हूं? आखिरकार अंत में पदमा ने कहा पिताजी सबका भाग्य अलग अलग होता है।
वैसे ही यह सुनकर राजा ने सबसे पहले अपने मंत्री को आदेश दिए दिया कि प्रातः काल में महल के द्वार पर जो भी पहला जीवमनुष्य दिखेगा उससे इसका विवाह करवा दिया जाए। इसलिए दूसरे दिन मंत्री ने बाद में फिर राजा के कहे अनुसार द्वार पर खड़ा हो गया और फिर ध्यान रखने लगा।
Princess And Peacock Love
अभियोग से तब उन्हे एक मोर दिखा तब मंत्री ने सोचा अगर मैं राजाजी को बता दूंगा तो वह अपने क्रोध में राजकुमारी पदमा का विवाह इससे कर देंगे। इसलिए बाद में, फिर उसने राजाजी को कहा कि आज तो प्रातः काल में कोई द्वार पर नहीं आया।
दूसरे दिन मंत्री को अंत में फिर से वही मोर दिखा। तब फिर मंत्री ने सोचा कि राजकुमारी पदमा के भाग्य में यह मोर ही लिखा है। फिर उसने राजा जी को बता दिया। तुरंत राजा ने अपनी पुत्री का विवाह उस मोर से कर दिया और फिर बैलगाड़ी में बिठाकर विदा कर दिया। बाद में रास्ते में चलते चलते एक भयंकर जंगल आया। फलस्वरूप तब तक रात हो गई थी। राजकुमारी पदमा ने सोचा आज तो मैं मर जाऊंगी कोई भयंकर शेर मुझे रात में खा जायेगा।
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फिर वह रोते रोते एक पेड़ के नीचे अपने मोर को लेकर बैठ गई। यहाँ तक की वह भगवान को याद करते करते सो गई। रात में उसे गहरी नींद आ गई। इस बीच मोर भी वहा से उड़कर एक पेड़ की टहनी पर बैठ गया। बाद में फिर कुछ समय पश्चात बहुत जोर से आंधी तूफान आने लगा। जिससे मोर जिस टहनी पर बैठा था वो टूट गई और फिर मोर मर गया।
सबसे पहले राजकुमारी पदमा की आंख खुली अपने मोर को पास में नहीं पाकर बहुत घबरा गई। फिर वह मोर को जंगल में इधर उधर ढूंढने लगी। ताकि ढूंढते ढूंढते वह उस पेड़ के पास आ गई जहा से मोर गिरकर मर गया था। मोर को मरा हुआ देखकर वह रोने लगी। और भगवान से प्रार्थना करने लगी।
हे! भगवान मेरे मोर को वापिस जीवित कर दो। दूसरी तरफ वहा से शिवपार्वती जा रहे थे। पार्वती माता ने शिवजी से कहा इस जंगल में कौन इतना दुःखी हैं। तब भगवान शिव बोले: पदमा नाम की राजकुमारी हैं उसके पिताजी ने क्रोध में आकर उसका विवाह एक मोर से कर दिया था।
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फलस्वरूप वह मोर अब मर गया है इसलिए वह रो रही है। तब पार्वती माता ज़िद करने लगे और बाद में उस राजकुमारी के पास चले गए। माता पार्वती उसे विलाप करते हुए नहीं देख पाए इसलिए उन्होने भगवान शिव से कहा कि :-
हे! भगवन आप इसके पति को पहले जैसे वापिस जीवित कर दो।
तब भगवान शिव ने मोर को एक सुंदर राजकुमार बना दिया। और फिर बहुत सारा धन भी दिया। उधर राजा जी अंधे हो गए और उनसे उनका राज्य भी दुश्मनों ने छीन लिया। तब उसे समझ आ गया था कि उसने अपनी पुत्री के साथ जो किया वो बहुत गलत था। सब अपने भाग्य का ही लिखा हुआ खाते हैं। फिर वह क्षमा याचना करने के लिए अपनी पुत्री के पास गया और कहा कि पुत्री तुमने सही कहा था। मैं गलत था कृपया करके मुझे क्षमा कर दो। फिर राजा का अंधापन ठीक हो गया और अब हसीं खुशी रहने लगे। सबके अपने अपने कर्म होते हैं जो जैसा करता है वह वैसा ही भरता है।।